Shodashi - An Overview
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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
The Shreechakra Yantra encourages the advantages of this Mantra. It's not at all compulsory to meditate in front of this Yantra, but when You should purchase and use it throughout meditation, it will eventually give wonderful benefits to you personally.
Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Neighborhood and spiritual solidarity between devotees. Throughout these activities, the collective energy and devotion are palpable, as individuals engage in a variety of sorts of worship and celebration.
When the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is said to get the highest method of worship of the goddess. You will find sixty four Charkas that Lord Shiva gave towards the human beings, coupled with diverse Mantras and Tantras. These were given so that the humans could center on attaining spiritual Added benefits.
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि
She is definitely the possessor of all great and great factors, together with Actual more info physical goods, for she teaches us to have with out being possessed. It is claimed that dazzling jewels lie at her toes which fell within the crowns of Brahma and Vishnu when they bow in reverence to her.
ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां
श्रींमन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या
लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-
ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥
भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।